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IRONY OF THE RELATIONS.

Some IRONY OF THE RELATIONS (Some points of the Workshop lectures by Dr Anekant Kumar Jain,New Delhi,09711397716) १•ऐसी कौन सी चीज है जो माँ को बेटा करे तो बुरा लगता है और दमाद करे तो अच्छा लगता है? Ans-जोरू की गुलामी । २•रिश्ता करते समय कन्या के माँ-बाप की इच्छा यही होती है कि लड़का खाते पीते घर का हो लेकिन "खाता-पीता" न हो । ३•बहु तो ऐसी चाहिए जो हमारे साथ रहे लेकिन दामाद ऐसा चाहिए जो अकेले रहता हो ताकि बेटी स्वतंत्र रहे और मन चाहे वस्त्र भी पहन सके,उसे सास-ससुर की सेवा न करनी पड़े। ४•रोजगार वाले लड़के अक्सर एक बेरोजगार लड़की से विवाह कर लेते हैं किन्तु रोज़गार युक्त लड़कियाँ हमेशा खुद से ऊँचे पद वाला ही वर चाहती हैं। 😊🙋Moral पुरुष प्रधान समाज सिर्फ पुरुष नहीं बनाते। ५•हर पत्नी अपने पति को बेवकूफ कहती है पर मानती नहीं है इसके विपरीत हर पति अपनी पत्नी को बेवकूफ मानता है पर कहता नहीं है। ६•भारत के लगभग हर सफल पति आये दिन ये शाश्वत वाक्य अवश्य सुनते रहते हैं -"वो तो मैं हूँ जो तुम्हारे साथ अब तक निभा रही हूँ,और कोई होती तो कब का छोड़ देती&quo

युवा पीढ़ी का धर्म से पलायन क्यों ? दोषी कौन ? युवा या समाज ? या फिर खुद धर्म ? पढ़ें ,सोचने को मजबूर करने वाला एक विचारोत्तेजक लेख ••••••••••••👇​

युवा पीढ़ी का धर्म से पलायन क्यों ? दोषी कौन ? युवा या समाज ? या फिर खुद धर्म ? पढ़ें ,सोचने को मजबूर करने वाला एक विचारोत्तेजक लेख ••••••••••••👇​Must read and write your view

कैसे बढ़ेगी जैनों की घटती जनसँख्या ?- प्रो.डॉ अनेकांत कुमार जैन

कैसे बढ़े जैनों की घटती आबादी ? डॉ. अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली , anekant 76 @gmail.com भारत में जैनों की जनसँख्या की विकास दर नगण्य रूप से सामने आ रही है | यह एक महान चिंता का विषय है | इस विषय पर सबसे पहले हम कुछ प्राचीन आंकड़ों पर विचार करें | तात्या साहब के. चोपड़े का मराठी भाषा 1945 में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण पुस्तक है ‘ जैन आणि हिन्दू ’ , इस पुस्तक के पृष्ठ ४७ -४८ पर कुछ चौकाने वाले तथ्य लिखे हैं जिसका उल्लेख आचार्य विद्यानंद मुनिराज की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘ महात्मा गांधी और जैन धर्म ’ में है – १. ईसा के १००० साल पहले ४० करोड़ जैन थे | २. ईसा के ५००-६०० साल पहले २५ करोड़ जैन थे   | ३. ईश्वी ८१५ में सम्राट अमोघवर्ष के काल में २० करोड़ जैन थे   | ४. ईश्वी ११७३ में महाराजा कुमारपाल के काल में १२ करोड़ जैन थे   | ५. ईश्वी १५५६ अकबर के काल में ४ करोड़ जैन थे | यदि इन आंकड़ो को सही माना जाय तो यह अत्यधिक चिंता का विषय है कि अकबर के काल से २५०० वर्ष पहले जैन ४० करोड़ थी और उसके समय तक यह संख्या ९०% की कमी के बाद महज १०% बची | इसके बाद अब कुछ नए आंकड़ों