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भ्रष्टाचार के खिलाफ थे महावीर-डा. अनेकान्त कुमार जैन

भ्रष्टाचार के खिलाफ थे महावीर डॉ . अनेकांत कुमार जैन ईसा से लगभग छह सौ वर्ष पूर्व भारत की धरती पर भगवान महावीर का जन्म साधना के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी युग की शुरुआत थी। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन वैशाली नगर के ज्ञातृवंशी कश्यप गोत्रीय क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ तथा माता त्रिशला के राजमहल में बालक वर्धमान के रूप में एक ऐसे पुत्र ने जन्म लिया जिसने तत्कालीन प्रसिद्ध धर्म की व्याख्याओं में अध्यात्म को सर्वोपरि बतलाकर संपूर्ण चिन्तन धारा को एक नयी दिशा दी। इनका जन्म वैशाली गणराज्य के कुण्डग्राम में हुआ था। राजतंत्र से लोकतंत्र तक का पाठ पढ़ाने वाला वैशाली इस विश्व का प्रथम गणराज्य माना जाता है , जहां जनतंत्र की शुरुआत हुई। भगवान महावीर भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ थे.वे जनता के अनुसार राज्य की कल्पना करते थे न कि शासक के अनुसार. बचपन में घटित कई घटनाओं के आधार पर भगवान महावीर के कई नाम प्रसिद्ध हुए जिनमें प्रमुख हैं वीर , अतिवीर , महावीर , वर्धमान तथा सन्मति। इनकी माता का नाम त्रिशला के अलावा प्रियकारिणी देवी भी था। भगवान महावीर ने देखा कि भारत में धर्म के नाम पर मात्

भगवान् महावीर की योग विद्या -डा. अनेकान्त कुमार जैन

भगवान् महावीर ने दी अहिंसा की सूक्ष्म परिभाषा -डा. अनेकान्त कुमार जैन

तीर्थंकर महावीर आज भी प्रासंगिक हैं - डा. अनेकान्त कुमार जैन

बना रहे बनारस

बना रहे बनारस होली का तीन दिन का अवकाश ,अचानक काशी यात्रा का कार्यक्रम और बनारस के रस की तड़फ ...सब कुछ ऐसा संयोग बना कि पहुँच ही गए काशी |इस बार बहुत समय बाद जाना हुआ |लगभग डेढ़ वर्ष बाद ...डर रहा था कि अपने बनारस को पहचान पाउँगा कि नहीं ? कहीं क्योटा न हो गयी हो काशी |भला करे भगवान् ....वही जगह ,वैसे ही लोग वही संबोधन ...का बे ....का गुरु .....???वाले और वे सारे स्वतः सिद्ध ह्रदय की निर्मलता से स्फुटित शब्द ..जिन्हें अन्यत्र अपशब्द कहा जाता है और कुटिलता में प्रयुक्त होता है | दिल्ली की सपाट ,साफ़ सुथरी किन्तु भयावह सड़कों को भुगतने के बाद ...काशी की उबड़ खाबड़ सड़कें और शिवाला के सड़क किनारे बने कूड़ा घर के बाहर लगभग आधे से अधिक सड़क भाग पर पसडा काशी का कूड़ा और आती दुर्गध भी मुझे उसी काशी का लगातार अहसास करवा रहे थे और में खुश था कि चाहे खोजवां हो ,या कश्मीरीगंज,अस्सी हो या भदैनी या फिर लंका से लेकर नरिया होते हुए सुन्दरपुर सट्टी इनका सारा कूड़ा बाहर रहता है ...दिल के अन्दर नहीं |भारत के स्व.... अभियान की सारी शक्ति भी इस शहर में लगा दें तो किसी को कोई फिकर नहीं है |बाबा भोले के भक्त अपन

विकास or विनाश

हम यदि सुकून से शुद्ध भोजन नहीं कर पा रहे हैं और रात को सुकून से सो नहीं पा रहे हैं तो ऐसा विकास हमारे विनाश का सूचक है।- -कुमार अनेकांत

वो मुझे अक्सर सताता बहुत है

वो मुझे अक्सर  सताता बहुत है   है मुझ पर ज्यादा मेहरबा  हर वक्त  जताता बहुत है   गर मजबूरी में लेना ही पड़ जाये  उससे थोड़ी सी मदद , महफ़िल में बेवफा  बताता बहुत है | -कुमार अनेकांत