प्रिय बहना मधुर स्नेह आजकल तुम जिस दौर से गुजर रही हो उसका मुझे अहसास है ।उम्र के इस उफान पर जिस प्रकार हमें अपनी पढाई और कैरियर के प्रति सजग रहना आवश्यक है उसी प्रकार प्यार के रिश्तों संबंधों से निर्मित अपने पारिवारिक और सामाजिक परिवेश के प्रति भी बहुत सजगता जरूरी है ।दोनों ही स्थितिओं में हमें बड़ों के अनुभवों का लाभ उठाना आना चाहिए। आज तुम्हारी जो भावनात्मक और पारिवारिक स्थिति है वैसी स्थिति कमोवेश हर लड़की की होती है । आज तुम अपने पैरों पर खड़ी हो और विवाह के प्रसंग पर स्व-चयनित वर से ही करने की जिद घर वालों के सामने रखी है ।एक ऐसा वर जिसकी पृष्ठभूमि अपने धर्म संस्कृति से बिलकुल जुदा है और तुम्हारी हर जिद और इच्छा की पूर्ती में तत्पर तुम्हारे माता पिता सहित सभी अभिभावक आज तुम्हारी इस जिद को नहीं मान रहे हैं तो तुम्हें वे बहुत बुरे लग रहे हैं । प्यार करना बुरी बात नहीं है ।जब नयी जवानी का सावन आता है और घटायें घुमड़ घुमड़ कर बरसती हैं तो बारिस सब कुछ भिगो देती है तब ऐसे मौसम में बारिश में भीगना कोई जुर्म नहीं है ।मैं इस निश्छल प्रेम को अपरा