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जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय

"अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय" "अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय" क्यों कि योग का एक देसी अर्थ "जुगाड़" भी है | दर्शन - "जुगाड़",आसन - इसका एक ही सिद्ध आसन है - " चाटुकारासन " | ये सब नहीं कर सकते | कौन कर सकता है ?-इसके साधक योगियों में धैर्य,समता,चेहरे पर कृत्रिम मुस्कान,अविद्यमान गुणों की भी प्रशंसा करना,रात को दिन कहने की कला ,चरण स्पर्श आदि में महारथ,मौसम को भांपने की क्षमता और उसी के अनुकूल खुद का भी रंग बदलने का हुनर,किसी एक सिद्धांत पर अडिग न रहने का साहस,खुद की हर क्रिया को सही और तर्क सम्मत सिद्ध करने का पांडित्य आदि आदि विशेष गुण होते हैं |इनके अभाव में इसकी साधना नहीं की जा सकती |इसके लिए रीड़ की हड्डी में विशेष लचीलापन चाहिए | मंत्र- व्यर्थ की प्रशंसा इसका मूल मंत्र है| काव्य कला हो तो अधिक असरकारी हो जाता है| इसके लाभ - १.व्यक्ति सत्ता परिवर्तन जैसे तनावों से मुक्त रहता है | २.सरकार चाहे जिसकी हो उसका कभी ट्रान्सफर आदि नहीं होता |वह अपदस्थ नहीं होता |सहज ही बड़े बड़े पद और सुविधाए

"Celebrate The World Yoga day on 21 June with SAMAYIK YOG " GLOBAL- SAMAYIK सामायिक योग

  "Celebrate  The World Yoga day on 21 June with SAMAYIK YOG "                                        GLOBAL- SAMAYIK  1. चतुर्दिक वंदना करें।             2. 27 श्वासोच्छवास में ९ बार णमोकारमंत्र पढ़ें।                 3. चत्तारि मंगल पाठ पढ़ें। 4. सुखासन में बैठकर संक्षिप्त प्रतिक्रमण करें।.....तस्स मिच्छा मे दुक्कडं ।  5. सामायिक काल के लिए समस्त परिग्रह , राग द्वेष , आहार आदि का प्रत्याख्यान (त्याग) करें। 6. सामायिक करें।अर्हं पद का ध्यान करें और ध्वनि करें।              7. कायोत्सर्ग करें। ( भेद विज्ञान)                  8.  वन्दनासन में बैठ कर थोस्सामि... लोगस्स स्तवन का पाठ भावों के साथ करें।  9. 27 श्वासोच्छवास में ९ बार णमोकारमंत्र पढकर संपन्न करें।                निवेदक -         JIN FOUNDATION, NEW DELHI  

जैन योग की सुदीर्घ परंपरा- २१ जून को विश्व योग दिवस पर विशेष

२१ जून को विश्व योग दिवस पर विशेष सादर प्रकाशनार्थ " जैन योग की समृद्ध परंपरा"                                                         - डॉ अनेकांत कुमार जैन  योग भारत की विश्व को प्रमुख देन है | यूनेस्को ने २ ओक्टुबर को अहिंसा दिवस घोषित करने के बाद २१ जून को विश्व योग दिवस की घोषणा करके भारत के शाश्वत जीवन मूल्यों को अंतराष्ट्रिय रूप से स्वीकार किया है | इन दोनों ही दिवसों का भारत की प्राचीनतम जैन संस्कृति और दर्शन से बहुत गहरा सम्बन्ध है | श्रमण संस्कृति का मूल आधार ही अहिंसा और योग ध्यान साधना है | इस अवसर पर यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि जैन परंपरा में योग ध्यान की क्या परंपरा , मान्यता और दर्शन है ?  जैन योग की प्राचीनता और आदि योगी जैन योग का इतिहास बहुत प्राचीन है | प्राग ऐतिहासिक काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने जनता को सुखी होने के लिए योग करना सिखाया | मोहन जोदड़ो और हड़प्पा में जिन योगी जिन की प्रतिमा प्राप्त हुई है उनकी पहचान ऋषभदेव के रूप में की गयी है | मुहरों पर कायोत्सर्ग मुद्रा में योगी का चित्र प्राप्त हुआ है , यह कायोत्सर्ग की मुद्रा जैन