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टिप्पणियों से बचें प्रवचनकार

सादर प्रकाशनार्थ किसी भी धर्म के देवी देवताओं पर टिप्पणियों से बचें प्रवचनकार डॉ अनेकान्त कुमार जैन                        चाहे कोई भी प्रवचनकार हों ,उनकी सभा में हजारों लाखों श्रोता आते हों ,भले ही वे करोड़ों में खेलते हों किन्तु किसी भी प्रवचनकार को चाहे वह गृहस्थ हो या सन्यासी उन्हें स्वयं को भगवान मानने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए|श्रोता भक्ति के अतिरेक में भले ही उन्हें भगवान से भी बड़ा मानते या कहते हों पर उन्हें हमेशा यह मान कर चलना चाहिए कि वे सर्वप्रथम एक मनुष्य हैं और सामाजिक भी हैं|वर्तमान में प्रायः यह देखने में भी आ रहा है कि धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण दे दे कर अपने से अन्य सम्प्रदाय के अनुयायियों और उनके देवी देवता, आराध्यों तथा साधुओं पर भी खुल कर टीका टिप्पणी हो रहीं हैं तथा उन्हें मिथ्यात्वी,मायावी और भ्रष्ट करार देने का सिलसिला चल रहा है.यह अशुभ संकेत है|                         सबसे पहला सिद्धांत है कि निंदा किसी की भी नहीं करनी चाहिए|यह रागद्वेषभावका सूचक है जो कि धर्म क्षेत्र में निषिद्ध है | हम यह ध्यान रखें कि हमारी जरा सी भूल कितने रक्त पात और दंगों को

तत्त्वार्थ श्लोक वार्तिक में नय विवेचन (कृतिदेव फोंट हिंदी २६ )

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