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मेरी किताब -सत्प्ररूपना सार

जैन धर्म :एक झलक ' के सभी पाठकों को मेरा धन्यवाद !

जैन धर्म :एक झलक ' के सभी पाठकों को मेरा धन्यवाद ! आपके सहयोग से जैन धर्म को जनसामान्य की भाषा में सरल तरीके से समझानें का यह विनम्र प्रयास सफलता के नए मुकाम पर है. २०,००० कापियां छप कर जा चुकीं हैं.

भ्रष्टाचार के खिलाफ थे महावीर

भ्रष्टाचार के खिलाफ थे महावीर डॉ . अनेकांत कुमार जैन ईसा से लगभग छह सौ वर्ष पूर्व भारत की धरती पर भगवान महावीर का जन्म साधना के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी युग की शुरुआत थी। चैत्र शुक्ला त्रयोदशी के दिन वैशाली नगर के ज्ञातृवंशी कश्यप गोत्रीय क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ तथा माता त्रिशला के राजमहल में बालक वर्धमान के रूप में एक ऐसे पुत्र ने जन्म लिया जिसने तत्कालीन प्रसिद्ध धर्म की व्याख्याओं में अध्यात्म को सर्वोपरि बतलाकर संपूर्ण चिन्तन धारा को एक नयी दिशा दी। इनका जन्म वैशाली गणराज्य के कुण्डग्राम में हुआ था। राजतंत्र से लोकतंत्र तक का पाठ पढ़ाने वाला वैशाली इस विश्व का प्रथम गणराज्य माना जाता है , जहां जनतंत्र की शुरुआत हुई। भगवान महावीर भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ थे.वे जनता के अनुसार राज्य की कल्पना करते थे न कि शासक के अनुसार. बचपन में घटित कई घटनाओं के आधार पर भगवान महावीर के कई नाम प्रसिद्ध हुए जिनमें प्रमुख हैं वीर , अतिवीर , महावीर , वर्धमान तथा सन्मति। इनकी माता का नाम त्रिशला के अलावा प्रियकारिणी देवी भी था। भगवान महावीर ने देखा कि भारत में धर्म के नाम पर मात्र को

सोच बदलेगी तो समाज बदलेगा

प्रोफेशनल होकर कैसे करें धर्म और समाज सेवा ? आज शिक्षा का विकास बहुत हो गया है .ज्ञान के इस विकास ने रोजगार और समृद्धि के नए द्वार खोल दिए हैं.निश्चित रूप से ज्ञान विज्ञान,आधुनिक संसाधन तथा पैसे से संपन्न नयी पीढ़ी यह भी सोचने लगी है कि जीवन की सभी सफलताओं को प्राप्त करने के बाद हम अपने धर्म संस्कृति और समाज के लिए भी क्या कुछ कर सकते हैं? कई बार समाज के झगडों तथा धार्मिक भ्रष्टाचार की सच्ची झूठी बातों को देख सुन कर ये विचलित हो जाते हैं.क्यों कि इनकी प्रोफेशनल लाइफ में ऐसा भ्रष्टाचार नहीं चलता .फलतः ये दूर भागने लगते है.इसके कारण इन्हें वो बातें भी सीखने को नहीं मिल पाती जिनसे इनका आध्यात्मिक व्यक्तित्व बनता तथा भौतिक दुनिया में जीने का सही तरीका समझ में आता .हम यहाँ कुछ बिन्दुओं पर विचार करेंगे और मैं चाहता हूँ यह एक विचार श्रृंखला बने,आप सभी अपने विचार इस क्षेत्र में फैलाएं .मैं अपने विचारों के शतप्रतिशत प्रायोगिक होने का दावा नहीं करता.मैं चाहता हूँ आप उसमें सुधार करके प्रस्तुत करें .किन्तु सोचें जरूर ,क्यों कि सोचना बंद पड़ा है.सोच बदलेगी तो समाज बदलेगा . १.चाहे कु